वाराणसी:जम्मू कश्मीरके डीजी जेल से कश्मीरी बंदियों ने मांगी माफी, मुख्यधारा में वापसी की जताई प्रतिबद्धता
वाराणसी।जम्मू कश्मीर के डीजी जेल वीके सिंह ने गुरुवार को वाराणसी के केंद्रीय कारागार कानिरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर के जेल में कैद बंदियों से मुलाकातकी और उनका हाल चाल जाना। इस दौरान कुछ बंदियों ने उनसे बातचीत में कहा कि हमें माफीदे दी जाए, हम समाज के साथ मुख्यधारा में जुड़कर जीना चाहते हैं। बंदियों ने अपनी समस्याबताई तो बंदियों ने कहा कि अधिक दूरी होने के कारण परिजनों से मुलाकात नहीं हो पा रहीहै। बताया कि कभी-कभी वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात हो पाती है, उन्हें कहीं पास के जेलमें स्थानांतण करने का आग्रह किया। कहा कि उनको वापस कश्मीर जेल भेज दिया जाए तो परिजनोंसे मुलाकात होती रहेगी और अगर सरकार उनको माफी देती है तो वह समाज की मुख्य धारा मेंलौटना चाहते हैं।
दरअसल जम्मू-कश्मीरमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद वहां कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पब्लिक सेफ्टीएक्ट के तहत काफी संख्या में कश्मीर के चिन्हित पत्थरबाज गिरफ्तार किए गए थे। कश्मीरकी जेलों के भरने के बाद वाराणसी के सेंट्रल जेल में जम्मू-कश्मीर से लगभग तीस आतंकी,अलगाववादी और पत्थरबाज बंदी के तौर पर रखे गए थे। केंद्र के निर्देशर पर जम्मू-कश्मीरमें अनुच्छेद 370 की समाप्ति के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैकड़ों अलगाववादी,पत्थरबाज व स्थानीय आतंकियों संग उनके खास लोगाें को गिरफ्तार कर वहां की जेलों सेदेश के दूसरी जेलों में शिफ्ट किया था। इसी कड़ी में लगभग तीस लोग कश्मीर से वाराणसीकी जेल लाए गए थे।
भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से लगभग 30 लोग 19 अगस्त 2019 को सेेंट्रल जेल वाराणसी लाए गएथे। जेल में बंद कैदियों से उन्हें अलग रखा गया था ताकि उनपर विशेष तौर पर निगाह रखीजा सके। जम्मू-कश्मीर की विभिन्न जेलों में बंद इन बंदियों के बारे में पूर्ण रूप सेगोपनीयता बरती जा रही थी। मगर बाद में उनमें से दो बंदियों को छोड़ दिया गया था। अबगुरुवार को डीजी ने दौरा कर सभी कश्मीरी बंदियों से बात की और उनके विचारों को जाना।बताया गया कि इस दौरान कश्मीर के अलगाववादी, पत्थरबाज और उपद्रवियों संग आतंकवादसे जुड़े रहे बंदियों ने उनसे माफी मांगते हुए समाज की मुख्य धारा में लौटाने का निवेदनकिया। जेल सूत्रों के अनुसार डीजी ने भी बंदियाें की बात को सरकार तक पहुंचाने का वादाकिया है। ऐसे में उम्मीद जगी है कि जेलों में बंद किए गए कश्मीरी बंदियाें की रिहाईहो सके।