जम्मू:केंद्र सरकार के दुकान खोलने के आदेश पर क्यों है कन्फ्यूजन!
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मद्देनजर देशभर में लागू हुए लॉकडाउन में सरकार ने छूट का दायरा बढ़ा दिया है। अब जरूरी सामानों से जुड़ी दुकानों के अलावा गैरजरूरी सामानों की दुकानें और सेवाएं भी शर्तों के साथ खुल सकेंगी। तो क्या पड़ोस की हर दुकान अब खुल जाएगी? केंद्रीय गृह मंत्रालय के नए आदेश से शनिवार सुबह आम लोगों के साथ ही दुकानदारों को भी असमंजस में डाल दिया।
इसके बाद सरकार को स्पष्टीकरण भी देना पड़ा। दरअसल सरकार के नोटिफिकेशन में जिन बारीक शब्दों का इस्तेमाल किया गया, उसने इस कन्फ्यूजन को बढ़ाया। आइए हम आसान भाषा में समझाते हैं कि सरकार के इस आदेश का क्या मतलब है और कहां कौन सी दुकान खुलेगी और कहां नहीं..... केंद्रीय गृह मंत्रालय ने डिजास्टर मैनेजमेंट ऐक्ट 2005 के तहत 15 अप्रैल को जारी अपने आदेश में बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत अब गैरजरूरी सामानों की दुकानों को भी कुछ शर्तों के साथ खोलने की इजाजत दी है। संशोधित गाइडलाइंस को लेकर आम लोगों के साथ-साथ दुकानदारों में भ्रम की स्थिति को देखते हुए गृह मंत्रालय को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा।
स्पष्टीकरण में गृह मंत्रालय ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सभी दुकानें खुली रहेंगी हालांकि मॉल्स को इजाजत नहीं है।
शहरी इलाकों में सभी स्टैंडअलोन शॉप्स, रिहायशी इलाकों की नजदीकी दुकानें और रेजिडेंशल कॉम्पलेक्सों के भीतर स्थित दुकानों को खोले जाने की इजाजत है। शॉपिंग मार्केट, मार्केट कॉम्पलेक्स और शॉपिंग मॉल्स को इजाजत नहीं है।
ई-कॉमर्स कंपनियां अभी गैरजरूरी सामानों की डिलिवरी नहीं कर सकेंगी। वह सिर्फ जरूरी सामानों की ही डिलिवरी जारी रखेंगी।
अपने स्पष्टीकरण में गृह मंत्रालय ने बताया है कि शराब और इस तरह की दूसरी चीजों की बिक्री पर रोक जारी रहेगी।
हॉटस्पॉट्स और कंटेनमेंट जोन्स में गैरजरूरी सामानों की दुकानें अब भी नहीं खुल सकेंगी। कोरोना वायरस हॉटस्पॉट्स में केंद्र की तरफ से लॉकडाउन नियमों में दी गई ढील लागू नहीं होगी। इसे ऐसे समझ सकते हैं। लॉकडाउन में ढील के आदेश के बाद जो कन्फ्यूजन पैदा हुआ उसके बाद गौतम बुद्ध प्रशासन ने स्पष्ट किया कि हॉटस्पॉट्स में कोई छूट नहीं दी जाएगी। नोएडा सेक्टर 22 कोविड-19 हॉटस्पॉट है, लिहाजा वहां केंद्र के नए नियम लागू नहीं होंगे।
गृह मंत्रालय के आदेश में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि शॉप्स ऐंड इस्टेब्लिशमेंट ऐक्ट के तहत विभिन्न राज्यों में रजिस्टर्ड दुकानों को ही खुलने की इजाजत है। जो दुकानें संबंधित राज्य में इस कानून के तहत पंजीकृत नहीं हैं, वे नहीं खुलेंगी। दरअसल किसी भी छोटी दुकान शुरू करने के लिए उसका पंजीकरण करवाना जरूरी होता है। एमएसएमई के अधिनियम 2006 या संबंधित नगर पालिका में दुकान अधिनियम के तहत यह पंजीकरण होता है।
रिहायशी कॉलोनियों के नजदीक बनीं दुकानों और स्टैंड-अलोन शॉप्स को यह इजाजत शर्तों के साथ मिली है। इन दुकानों में सिर्फ 50 प्रतिशत स्टाफ ही फिलहाल काम कर पाएंगे। उन्हें मास्क लगाना अनिवार्य होगा और साथ में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन भी जरूरी होगा। दरअसल, दुकानों में कितने स्टाफ हैं, उन्हें किस दिन छुट्टी दी गई है, काम के घंटे कितने हैं इस तरह की जानकारियां रजिस्टर्ड दुकानें सरकार को दी होती हैं। अब उनके स्वीकृत स्टाफ संख्या के आधे ही फिलहाल काम कर पाएंगे।
केंद्र सरकार की तरफ से शुक्रवार रात को दुकानें खोले जाने के आदेश को लेकर देशभर के व्यापारियों में पैदा भ्रम को लेकर कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने कहा कि अभी हमें सभी राज्य सरकारों के फैसले का इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल अलग-अलग राज्य अपने यहां संक्रमण की स्थिति के मद्देनजर दुकानों के खोले जाने को लेकर अपने अलग नियम बना सकते हैं।
केंद्र सरकार ने तो इजाजत दे दी है, लेकिन इसको लेकर अंतिम फैसला अब राज्य सरकारों को करना है। अगर राज्य सरकार इजाजत देती है, तो ही राज्यों में दुकानें खुलेंगी।