नई दिल्ली:चीन को दोटूक- जब तक हर जगह डिसइंगेजमेंट नहीं होता, पूर्वी लद्दाख में पीछे नहीं हटेगी सेना
नई दिल्ली।सीमा पर तनाव वाली अन्य जगहों को लेकर भारत और चीन के बीच बातचीत रुक गई है, ऐसे संकेतमिल रहे हैं। इस बीच, भारत ने साफ कहा है कि जब तक तनाव वाले सभी इलाकों में डिसइंगेजमेंटनहीं होता, तब तक पूर्वी लद्दाख में सेना पीछे नहीं हटेगी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताअनुराग श्रीवास्ताव ने कहा कि हमारी अपेक्षा है कि चीन यह सुनिश्चित करेगा कि जल्दसे जल्द बाकी इलाकों में डिसइंगेजमेंट पूरा हो। उन्होने कहा, "यह हमारी अपेक्षाहै कि डब्ल्यूएमसीसी और वरिष्ठ कमांडर्स की बैठकों, दोनों के जरिए चीनी पक्ष हमारेसाथ मिलकर यह सुनिश्चित करे कि बाकी इलाकों में जल्द से जल्छ डिसइंगेजमेंट पूरा हो।"
श्रीवास्तावने कहा कि इससे दोनों पक्षों के 'पूर्वी लद्दाख में सेनाएं पीछे करने का रास्ता खुलेगाऔर केवल उसी से शांति पुर्नस्थापित होगी।' उन्होंने कहा कि भारत ने पहले से जोर दियाहै कि द्विपक्षीय संबंध आगे तभी बढ़ेंगे जब सीमा पर शांति होगी।
पैंगोंगझील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर डिसइंगेजमेट के पहले राउंड के बाद एक बफर जोनबना था जहां पैट्रोलिंग नहीं होनी थी। इसके बाद डोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में डिसइंगेजमेंटको लेकर जारी बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचती नहीं दिख रही। मिलिट्री कमांडर्स की आखिरीबैठक गतिरोध पर ही खत्म हुई थी। भारत चाहता है कि देप्संग प्लेन्स में उसे पैट्रोलिंगके पुराने अधिकार मिलें जहां चीनी सैनिक अभी उसे पैट्रोलिंग पॉइंट्स 10 से 13 तक जानेनहीं दे रहे।
विदेश मंत्रालयके प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने समकक्ष वांग यी से बातचीत में"जोर दिया था कि पैंगोंग झील में डिसइंगेजमेंट पूरा होने के बाद, दोनों पक्षोंको जल्द से जल्द पूर्वी लद्दाख में एलएसी से जुड़े बाकी मसलों को सुलझाने की तरफबढ़ना चाहिए।" श्रीवास्तव ने कहा कि "वर्तमान हालात लंबे समय समय तक रहें,यह किसी के हित में नहीं है।"
श्रीवास्तवने कहा, "सीनियर कमांडर्स ने अपनी आखिरी मीटिंग (20 फरवरी) में माना था कि पैंगोंगझील इलाके में डिसइंगेजमेंट आगे की दिशा में एक बड़ा कदम था और इसने वेस्टर्न सेक्टरमें एलएसी पर बाकी मसलो को सुलझाने का अच्छा आधार दिया। "
डिसइंगेजमेंटकी रफ्तार धीमी तब हुई जब भारत के कई सैन्य कमांडर्स ने कहा कि चीन ने बिना जीत केकदम वापस खींचे। कई और ने कहा कि एक बफर जोन के बनने को चीन की सफलता के रूप में देखाजा सकता है।