श्रीनगर:त्राल मेंइंसानियत शर्मसार, आतंकियों ने डेढ़ साल की बच्ची को लातें मारीं
श्रीनगर।इस्लाम में बच्चों को खुदा के फरिश्ते कहा जाता है, बेटियों को बेटों से भी बढ़कर बतायागया है। इस्लाम में किसी निर्दाेष के कत्ल को इंसानियत के कत्ल के बराबर कहा गया है,लेकिन इससे धर्मांध जिहादियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। पुलवामा जिले में त्राल के हरिपरिगाममें रविवार की रात को इंसानियत का कत्ल हुआ, एक डेढ़ साल की बच्ची को लातें मारी गईं,एक बेटी का उसकी मां और बाप के सामने ही कत्ल कर दिया गया।
सांत्वनाजताने आए रिश्तेदारों के बीच अपने घर में बैठी रुकैया जान आज भी रविवार की रात के खौफनाकमंजर को याद कर सिहर उठती है। वह बार-बार अपनी डेढ़ साल की बच्ची लायका को पुकारतीहै, उसे देखती है तो फिर हाथ उठाकर खुदा का शुक्रिया अदा करती है। वह आतंकियों के हाथोंशहीद हुए एसपीओ फैयाज अहमद की बहू है। आतंकियों ने रुकैया के ससुर, सास व ननद पर गोलियांबरसा उन्हेंं हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया था।
रुकैया नेउस रात का जिक्र करते हुए बताया कि हम सभी खाना खाकर सोने की तैयारी में थे। अचानकहमारे दरवाजे पर दस्तक हुई। अब्बा (फैयाज अहमद) ने जाकर दरवाजा खोला, दो आतंकी अंदरआ गए। उन्होंने घर के भीतरी हिस्से में दाखिल होकर उसे अपने साथ चलने को कहा। मेरीसास और ननद ने उन्हेंं रोका तो आतंकियों ने गोलियां बरसा दीं। मैंने भी अपनी बेटी कोजिहादियों के पैरों पर रखा और कहा कि हमसे जो भी गलती हुई है, खुदा के वास्ते माफ करदो। हम यहां से चले जाएंगे, लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने मेरी बच्ची को लातें मारींऔर मुझे धमकाते हुए कहा कि यहां से हटो नहीं तो सबसे पहले तुम्हारी बच्ची को ही गोलीमारेंगे।
आतंकियोंने अब्बा को कोई बात नहीं करने दी। उन्होंने गोली चला दी। अम्मी और दीदी (ननद) भी अब्बाको बचाने के लिए उन पर लेट गई। जिहादियों ने उन पर भी गोली चला दी। मुझे समझ में नहींआया कि क्या हुआ, मेरे सामने तीनों खून से लथपथ पड़े हुए थे। मेरी बेटी और मैं चिल्लानेलगी और फिर मुझे होश नहीं रहा। जब आया तो अब्बा का जनाजा उठ रहा था, थोड़ी देर बादअम्मी की लाश घर में लाई गई और बाद में रफीका को कफन में लपेट कर घर लाया गया। रुकैयाने कहा कि मेरा खाविंद लियाकत फौजी है। वह उस समय ड्यूटी पर थे, इसलिए बच गए। वह अगरघर होते तो शायद हमारा पूरा खानदान खत्म हो गया होता।
दिवंगत एसपीओफैयाज अहमद के भतीजे मुजफ्फर ने कहा कि हमारा मकान कुछ ही दूरी पर है। मैंने जब गोलियोंकी आवाज सुनी तो चाचा फैयाज अहमद को फोन किया। फोन पर सिर्फ मुझे रोने की आवाज सुनाई।जब हम यहां घर पहुंचे तो यहां चारों तरफ खून बिखरा था। मुजफ्फर ने बताया कि सितंबर2018 में आतंकियों की धमकी पर उन्होंने एसपीओ की नौकरी छोड़ दी थी, लेकिन चार पांचमाह बाद उसे दोबारा एसपीओ बनाया गया था।
त्राल मेंहुए इस जघन्य हत्याकांड की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने कहा कोई शैतान भी डेढ़साल की बच्ची को लात नहीं मार सकता। पूरे मकान में हमने गोलियों की निशान देखे हैं।आतंकियों ने करीब 25-30 गोलियां दागी हैं। आइजीपी कश्मीर विजय कुमार ने बताया कि इसहत्याकांड में जैश ए मोहम्मद के दो आतंकी शामिल थे, दोनों को चिह्नित किया गया है।
पीपुल्सडेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को हरिपरिगाम में जाकर दिवंगतएसपीओ फैयाज अहमद के स्वजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जिनलोगों ने यह कत्ल किया है, वही कश्मीर ओर कश्मीरियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। यह लोगइस्लाम को मानने वाले नहीं हो सकते।